सिद्धासन | Siddhasana In Hindi | Siddhasana Yoga In Hindi - HindiGyanDaily

सिद्धासन

यह आसन प्रायः सिद्ध पुरुष करते है। इसीलिए इसे 'सिद्धासन' कहा जाता है। इस आसन का मुख्य कार्य सुषुप्त कुण्डलिनी शक्ति को जाग्रत करना है।
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करने का तरीका :

गुदा और वृषण के बीच के भाग पर दाएँ पैर की एड़ी तया जननेन्द्रिय के मूल भाग की हड्डी पर बाएँ पैर की एड़ी मजबूती से दबाकर बैठिए। दोनों हाथों की बीच की उँगली और अँगूठे को मिलाकर (हाथ के) पंजे के पीछे के भाग को जाँघ से सटाकर रखिए। पीठ(रीढ़) को सीधी और तनी हुई स्थिति में रखिए। सिर, गर्दन और मेरुदण्ड(रीढ़) को एक ही सीधी रेखा में रखिए। नजर नीचे की ओर रखकर गर्दन को इस प्रकार नीचे झुकाइए कि ठुड्डी(दाढ़ी) गले के नीचे के हिस्से का स्पर्श करे।

लाभ/फायदे :

(1) यह आसन करने से सुषुप्त कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होती है। इससे शक्तिचलन मुद्रा के द्वारा शरीर की सभी नाड़ियों की शुद्धि होने लगती है।

(2) इस आसन से अजीर्ण, पेचिश, जीर्णज्वर, हृदयरोग, क्षय, दमा, मधुप्रमेह आदि अनेक रोग दूर किये जा सकते हैं।

(3) पद्मासन से मिटनेवाले रोग इस आसन से भी मिटते हैं। (4) कमर के प्रत्येक जोड़ के उपचार के लिए यह आसन अत्यन्त उपयोगी है

(5) यह आसन धारणा की शक्ति एवं मानसिक संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है

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