उत्थित पद्मासन (लोलासन)
यह आसन पद्मासन का ही एक प्रकार है। इस आसन में दोनों हथेलियों को जमीन पर रखकर उनके बल पर शरीर को ऊपर की ओर उठाया जाता है। इसलिए इसे ‘लोलासन’ या ‘डोलासन’ कहा जाता है। इसमें पूरे शरीर का सन्तुलन दोनों हाथों पर रखा जाता है।
यह आसन पद्मासन का ही एक प्रकार है। इस आसन में दोनों हथेलियों को जमीन पर रखकर उनके बल पर शरीर को ऊपर की ओर उठाया जाता है। इसलिए इसे ‘लोलासन’ या ‘डोलासन’ कहा जाता है। इसमें पूरे शरीर का सन्तुलन दोनों हाथों पर रखा जाता है।
करने का तरीका :
पद्मासन लगाकर बैठिये। दोनों तरफ दोनों हथेलियों को जमीन पर रखिये। धीरे-धीरे शरीर को ऊपर की ओर उठाइए। शरीर को जरा भी झटके न लगने दें। शरीर काँपना नहीं चाहिए। जितनी देर तक आप शरीर को ऊपर की ओर रखें , तब तक साँस को भीतर सीने में ही रोककर रखिये और जब आप शरीर को नीचे की ओर लाएँ, तब आप साँस को बाहर छोड़ें। यह आसन करते समय अधिकतर लोगों के हाथ कमजोरी के कारण काँपने लगते है। फिर भी धैर्य के साथ यह आसन करते रहें।
लाभ/फायदे :
(1) इस आसन से हाथ की सभी जोड़ और मांसपेशियाँ मजबूत बनती है।
(2) इस आसन से आँतों की कमजोरी, कब्जियत, अजीर्ण, पेचिश, अतिनिद्रा, नाड़ी-अशुद्धि आदि रोग दूर होते है।
(3) इस आसन से जठराग्नि प्रदीप्त होती है, जिससे तन-मन द्वारा स्वास्थ्य के शुभ लक्षण प्रकट होते हैं।
पद्मासन लगाकर बैठिये। दोनों तरफ दोनों हथेलियों को जमीन पर रखिये। धीरे-धीरे शरीर को ऊपर की ओर उठाइए। शरीर को जरा भी झटके न लगने दें। शरीर काँपना नहीं चाहिए। जितनी देर तक आप शरीर को ऊपर की ओर रखें , तब तक साँस को भीतर सीने में ही रोककर रखिये और जब आप शरीर को नीचे की ओर लाएँ, तब आप साँस को बाहर छोड़ें। यह आसन करते समय अधिकतर लोगों के हाथ कमजोरी के कारण काँपने लगते है। फिर भी धैर्य के साथ यह आसन करते रहें।
लाभ/फायदे :
(1) इस आसन से हाथ की सभी जोड़ और मांसपेशियाँ मजबूत बनती है।
(2) इस आसन से आँतों की कमजोरी, कब्जियत, अजीर्ण, पेचिश, अतिनिद्रा, नाड़ी-अशुद्धि आदि रोग दूर होते है।
(3) इस आसन से जठराग्नि प्रदीप्त होती है, जिससे तन-मन द्वारा स्वास्थ्य के शुभ लक्षण प्रकट होते हैं।
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