पद्मासन (Padmasana)
‘पद्म’ अर्थात् कमल । जब यह आसन किया जाता है उस समय वह कमल के समान दिखाई पड़ता है। इसीलिए इसे ‘पद्मासन’ नाम दिया गया है। यह आसन 'कमलासन' के नाम से भी जाना जाता है। ध्यान एवं जप के लिए पद्मासन मुख्य आसन है। यह आसन पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिए अनुकूल है।
करने का तरीका :
भूमि पर दोनों पैर फैलाकर सीधे बैठिए। फिर दायाँ पैर बाएं पैर की जांघ पर और बायाँ पैर दायें पैर की जांघ पर रखिये। कई लोगों को पहले दाईं जांघ पर बायाँ पैर और फिर बायीं जांघ पर दायाँ पैर रखने में आसानी लगती है । ऐसा भी किया जा सकता है। फिर चित्र में बताए अनुसार दोनों हाथों के अँगूठों को तर्जनियों के साथ मिलाकर बायाँ हाथ बाएँ पैर के पुटने पर और दायाँ हाथ दाएँ पैर के घुटने पर रखिए। मेरुदण्ड और मस्तक सीधी रेखा में रखिए । आँखों को बन्द या खुला रखिए। कई व्यक्ति केवल एक पैर को ही जाँघ पर रख सकते है। ऐसे व्यक्तियों को भी प्रतिदिन उत्साहपूर्वक अभ्यास करना चाहिए । थोड़े ही समय में वे इस आसन को सरलता से कर सकेंगे । प्रारम्भ में यह आसन एक से दो मिनट तक करें और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ।
लाभ/फायदे :
(1) जप, प्राणायाम, धारणा, ध्यान एवं समाधि के लिए इस आसन का उपयोग होता है।
(2) इस आसन से अन्तःस्रावी ग्रंथियां (Endocrine Glands) कार्यक्षम बनती है।
(3) यह आसन दमा, अनिद्रा, हिस्टीरिया जैसे रोग दूर करने में सहायक है। अनिद्रा के रोगियों के लिए तो यह आसन अमोघ साधन है।
(4) यह आसन शरीर की स्थूलता कम करने में भी सहायक है। इस आसन से जीवनशक्ति (Vitality) की वृद्धि होती है।
भूमि पर दोनों पैर फैलाकर सीधे बैठिए। फिर दायाँ पैर बाएं पैर की जांघ पर और बायाँ पैर दायें पैर की जांघ पर रखिये। कई लोगों को पहले दाईं जांघ पर बायाँ पैर और फिर बायीं जांघ पर दायाँ पैर रखने में आसानी लगती है । ऐसा भी किया जा सकता है। फिर चित्र में बताए अनुसार दोनों हाथों के अँगूठों को तर्जनियों के साथ मिलाकर बायाँ हाथ बाएँ पैर के पुटने पर और दायाँ हाथ दाएँ पैर के घुटने पर रखिए। मेरुदण्ड और मस्तक सीधी रेखा में रखिए । आँखों को बन्द या खुला रखिए। कई व्यक्ति केवल एक पैर को ही जाँघ पर रख सकते है। ऐसे व्यक्तियों को भी प्रतिदिन उत्साहपूर्वक अभ्यास करना चाहिए । थोड़े ही समय में वे इस आसन को सरलता से कर सकेंगे । प्रारम्भ में यह आसन एक से दो मिनट तक करें और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ।
लाभ/फायदे :
(1) जप, प्राणायाम, धारणा, ध्यान एवं समाधि के लिए इस आसन का उपयोग होता है।
(2) इस आसन से अन्तःस्रावी ग्रंथियां (Endocrine Glands) कार्यक्षम बनती है।
(3) यह आसन दमा, अनिद्रा, हिस्टीरिया जैसे रोग दूर करने में सहायक है। अनिद्रा के रोगियों के लिए तो यह आसन अमोघ साधन है।
(4) यह आसन शरीर की स्थूलता कम करने में भी सहायक है। इस आसन से जीवनशक्ति (Vitality) की वृद्धि होती है।
إرسال تعليق