पर्वतासन (Parvatasana)
इस आसन को ‘वियोगासन' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें विशेषतापूर्वक योग होता है। यह आसन स्वास्थ्य-सम्पन्न व्यक्तियों को करना चाहिए।करने का तरीका :
सबसे पहले पद्मासन लगाइए। दोनों हाथ नमस्कार स्थिति में जोड़िए। फिर दोनों हाथ ऊपर की ओर उठाइए। दोनों हाथ पूरी तरह तनी हुई स्थिति में सीधे रखिये। फिर धीरे-से हाथ ऊपर की और उठाइए। कई लोग इस आसन को वीरासन में बैठकर भी करते हैं , लेकिन पद्मासन में बैठकर यह आसन करना अधिक अच्छा माना जाता है ? (वीरासन के लिए वीरासन का सेक्शन देखिये)
लाभ/फायदे :
(1) इस आसन में दोनों हाथ स्वाभाविक रूप से ऊपर की ओर स्थिर रखे जाते हैं । इससे प्राणों की ऊर्ध्वगति होती है।
(2) यह आसन करने से पूर्व सूर्यभेद प्राणायाम अथवा अनुलोम-विलोम प्राणायाम का पन्द्रह-पन्द्रह मिनट अभ्यास करने से फेफड़े, पेट और मेरुदण्ड स्वस्थ होते हैं।
(3) इस आसन से हाथ के स्नायुओं को भरपूर मात्रा में व्यायाम प्राप्त होता है।
सबसे पहले पद्मासन लगाइए। दोनों हाथ नमस्कार स्थिति में जोड़िए। फिर दोनों हाथ ऊपर की ओर उठाइए। दोनों हाथ पूरी तरह तनी हुई स्थिति में सीधे रखिये। फिर धीरे-से हाथ ऊपर की और उठाइए। कई लोग इस आसन को वीरासन में बैठकर भी करते हैं , लेकिन पद्मासन में बैठकर यह आसन करना अधिक अच्छा माना जाता है ? (वीरासन के लिए वीरासन का सेक्शन देखिये)
लाभ/फायदे :
(1) इस आसन में दोनों हाथ स्वाभाविक रूप से ऊपर की ओर स्थिर रखे जाते हैं । इससे प्राणों की ऊर्ध्वगति होती है।
(2) यह आसन करने से पूर्व सूर्यभेद प्राणायाम अथवा अनुलोम-विलोम प्राणायाम का पन्द्रह-पन्द्रह मिनट अभ्यास करने से फेफड़े, पेट और मेरुदण्ड स्वस्थ होते हैं।
(3) इस आसन से हाथ के स्नायुओं को भरपूर मात्रा में व्यायाम प्राप्त होता है।
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