कुक्कुटासन (Kukkutasana)
'कुक्कुट' संस्कृत शब्द है और इसका अर्थ है 'मुर्गा'। इस आसन में मुर्गा जैसा आकार बनता है। इसीलिए इस आसन को 'कुक्कुटासन' कहा जाता है।करने का तरीका :
सर्वप्रथम पद्मासन की स्थिति में बैठिए। दोनों हाथ कुहनियों तक पिंडलियों के बीच में डालिए। हथेलियाँ भूमि पर इस तरह टिकाइए, ताकि उँगलियाँ आगे की ओर रहें। फेफड़ों में साँस भरकर शरीर को भूमि से ऊपर उठाइए। फिर सामान्य स्थिति में साँस चालू रखिये। पैर कुहनियों तक भूमि से ऊपर उठने चाहिए। मोटे लोगों को पिंडलियों और जांघ के बिच हाथ डालना काफी मुश्किल होगा। शुरू में 10 सेकण्ड से शुरू करके अवस्था और शक्ति के अनुसार क्रमश: 1 मिनट तक इस आसन में स्थिर रहें।
लाभ :
(1) उत्थित पद्मासन या लोलासन से मिलनेवाले सभी लाभ इस आसन से भी मिलते है। साय ही उत्थित पद्मासन से दूर होनेवाले रोग इस आसन से भी मिट जाते है।
(2) जिन्हें पेट में कृमि(Worm) की शिकायत हो उनके लिए यह आसन लाभप्रद है।
(3) स्त्रियों को मासिक स्राव के समय होनेवाली बेचैनी, पुट्ठों का दर्द , भारीपन आदि तकलीफें इस आसन के अभ्यास से दूर हो जाती हैं।
(4) इस आसन से हाथों को सम्पूर्ण व्यायाम मिलता है। इसलिए हाथ की तीन मुख्य सन्धियाँ(joints) - कलाई, कुहनी और कन्धे-मजबुत बनती है।
(5) इस आसन से शरीर में स्फूर्ति और मन में प्रसन्नता उत्पन्न होती है।
'कुक्कुट' संस्कृत शब्द है और इसका अर्थ है 'मुर्गा'। इस आसन में मुर्गा जैसा आकार बनता है। इसीलिए इस आसन को 'कुक्कुटासन' कहा जाता है।करने का तरीका :
सर्वप्रथम पद्मासन की स्थिति में बैठिए। दोनों हाथ कुहनियों तक पिंडलियों के बीच में डालिए। हथेलियाँ भूमि पर इस तरह टिकाइए, ताकि उँगलियाँ आगे की ओर रहें। फेफड़ों में साँस भरकर शरीर को भूमि से ऊपर उठाइए। फिर सामान्य स्थिति में साँस चालू रखिये। पैर कुहनियों तक भूमि से ऊपर उठने चाहिए। मोटे लोगों को पिंडलियों और जांघ के बिच हाथ डालना काफी मुश्किल होगा। शुरू में 10 सेकण्ड से शुरू करके अवस्था और शक्ति के अनुसार क्रमश: 1 मिनट तक इस आसन में स्थिर रहें।
लाभ :
(1) उत्थित पद्मासन या लोलासन से मिलनेवाले सभी लाभ इस आसन से भी मिलते है। साय ही उत्थित पद्मासन से दूर होनेवाले रोग इस आसन से भी मिट जाते है।
(2) जिन्हें पेट में कृमि(Worm) की शिकायत हो उनके लिए यह आसन लाभप्रद है।
(3) स्त्रियों को मासिक स्राव के समय होनेवाली बेचैनी, पुट्ठों का दर्द , भारीपन आदि तकलीफें इस आसन के अभ्यास से दूर हो जाती हैं।
(4) इस आसन से हाथों को सम्पूर्ण व्यायाम मिलता है। इसलिए हाथ की तीन मुख्य सन्धियाँ(joints) - कलाई, कुहनी और कन्धे-मजबुत बनती है।
(5) इस आसन से शरीर में स्फूर्ति और मन में प्रसन्नता उत्पन्न होती है।
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